पटना संवाददाताः बिहार में जातीय गणना का आंकड़ा पेश कर दिया गया है। गांधी जयंती के मौके पर नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया कि बिहार में जो जाति आधारित गणना करवाई गई उसका रिपोर्ट जारी कर दिया गया है।1 गांधी जयंती के दिन पर जाति आधारित गणना 2022 कार्य के सर्वेक्षण के आंकड़े को प्रकाशित कर दिया गया है। इसको लेकर सर्वदलीय बैठक में फैसला किया गया था जाति आधारित गणना करने के प्रस्ताव पर कर मुहर लगी थी। बिहार में सभी जिलो से जो जाति आधारित गणना रिपोर्ट में जो आंकडे दिए गए हैं उसके मुताबिक राज्य में सामान्य वर्ग की कुल आबादी 15.52 है। अनुसूचित जाति की कुल जनसंख्या 19.56 है। अनुसूचित जनजाति की कुल संख्या 1.68ः है। पिछड़ा वर्ग 27.12ः है। अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01 है। कोइरी. 4.2 कुर्मी. 2.8 कायस्थ. 60 मोची,चमार,रविदास. 5.2 ब्राह्मण. 3.65 भूमिहार. 2.86 मुसहर. 3.08 राजपूत. 3.45 बनिया. 2.31 मल्लाह. 2.60 यादव. 14.26 है। दरअसल राज्य में जातीय गणना का पहला चरण 7 जनवरी से शुरू हुआ था। इस चरण में मकानों की सूचीकरण मकानों को गिना गया। यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था। जातीय गणना का दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू हुआ था। जिसे 15 मई को पूरा हो जाना था। लोगों से जो डाटा जुटाए गए। दूसरे चरण में परिवारों की संख्या उनके रहन.सहन आय आदि के आंकड़े जुटाए गए। इसके बाद ही निर्णय के आधार पर जो आंकडे मिले थे उसी रिपोर्ट पर आज बिहार के सीएम ने जारी किया है। हालांकि देखा जाए तो रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद ही राजनीतिक गलियारो से लेकर आम जनता तक की चचाओं का बाजार गर्म है।
बिहार के मुख्य सचिव श्री विवेक कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार जाति आधारित गणना 2022 की पुस्तिका का किया विमोचन। बिहार सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार बिहार में 82% हिन्दू, 17.7% मुसलमान, .05% ईसाई, .08% बौद्ध धर्म, .0016% कोई धर्म नहीं है। बिहार में धानुक जाति की संख्या 2.13, कुर्मी 2.87, कुशवाहा 4.27, ब्राह्मण 3.67, राजपूत 3.45, मुसहर की आबादी 3.08, मल्लाह जाति की आबादी 2.6, भूमिहार 2.89, अनुसूचित जनजाति 1.68, सोनार 0.68, कुम्हार 1.04, बढ़ई 1.45, कानू 2.21, यादव 14.26, कायस्थ 0.60, धोबी 0.83, नाई 1.59, पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.01, पिछड़ा वर्ग 27.12, अनुसूचित जाति 19.65, सामान्य वर्ग 15.52 प्रतिशत वहीं बिहार की कुल आबादी 13,07, 25 , 310 है, जिनमें पिछड़ा वर्ग 3,54,63,936, अत्यंत पिछड़ा वर्ग — 4,70,80,514, अनुसूचित जाति 2,56,89,820, अनुसूचित जनजाति 21,99,361, अनारक्षित 2,02,91,679 हैं।
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