रंजीत कुमार कि रिपोर्ट
लखीसराय: सौ साल पूर्व आदिमानव वैद्य और हाकिम के जरीये विभिन्न प्रकार का बिमारग्रसित लोगों का ईलाज हुआ करता था पर आज के इस दौर में लोग काफी आगे निकल गये। आज इस युग में लोगों का ईलाज काफी हद तक वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है। आज के इस दौर में वैज्ञानिक ईलाज में माध्यम और छोटे परिवार का इस कलयुग में बड़े से बड़े रोगों का ईलाज पैसे की अभाव में नहीं हो पाता है जिसके कारण अधिकतर लोगों की मौत हो जाती है। आज की इस दौर में लोगों को वैद्य तथा आयुवेदिक औषधालय से लोगों का विश्वास उठ चुका है लेकिन ऐसा नहीं है जो लोग पुरानी ईलाज में विश्वास रखते थे आज भी इस युग में लोग पुराने वैद्य और हाकिमों तथा औषधालय में ही ईलाज कराना पंसद करते है। लेकिन इस विपदा की घड़ी में लोगों विश्वास फिर एक बार पुरानी परंपरा कि और भागने पर मजबुर है।
जिसके कारण आज के फिर एक बार इस युगों में वैद्य और आयुवैदिक औषधालय की दुकानों वेद डॉक्टरों के यहां ईलाज करा कर इसका बखुबी आंनद लेते हुये लोग ईलाज कर रहे यही नही इस गंथ और आयुवैदिक यंगों तंगो से सदर अस्पतालों में व्यायाम के माध्यम से ईलाज कराने की सलहा बिहार सरकार ने लागू कर दिया जिसकी बजह रही है आज कई चिकित्सक कार्यरत है इसका जीता जागता तस्वीर की बात करे तो लखीसराय जिले से महज 20 किलोमीटर दुर मननपुर रेलवे स्टेशन से सटे डाउन प्लेटफार्म के नजदीक है जहां कि पुरानी पंरम्मपरागित दुकान पर देखने को मिला है। जहां लोग दूर.दराज से पुरानी से पुरानी बीमारी को लेकर पहॅुच रहे है। इसकी तहकीकांत विशेष कर इंडियन पंच हिन्दी दैनिक के जिला संवाददाता गोपाल प्रसाद ने अपनी पत्नी के ईलाज में इसकी खोज निकाली है। जिसमें पूर्णत विश्वास की ओर ले जाते हुये मध्यम परिवार सहायक गरीब परिवार निःसहाय परिवार लोगों के मदद गार साबित होगा।
ज्ञात हो कि वैद्य चंचल कुमार मिश्रा लोगों का ईलाज विभिन्न प्रकार को लेकर विख्यात है जहां हर दिन करीबन सौ से अधिक लोगों को दवा देकर उन मरीजो का ईलाज कर रहे है। यही नहीं इनसे ईलाज के लिये लोग काफी दूर दराज से लोग आ रहे है। इनकी जीतनी भी लोग भूरी.भूरी प्रंशसा करें तो वह काफी कम होगा। डॉ वैद्य चचंल कुमार मिश्रा से मिलने के बाद जब वैद्य और औषधी की जानकारी खास बात चीत में दी तो पता चला कि श्री मिश्रा के पिछले तीन पूर्वजों से पिछले सौ सालों से अधिक समय से इनका पूर्वज दूर.दूर से आये हुये मरीजो को वैद्य औषधालय के जड़ी.बुटी और आयुवैदिक तरीके से परदादा, दादा स्व. हरगोविन्द मिश्रा जी और मिश्रा के पिता स्व, विमलेश कुमार मिश्रा हर प्रकार का ईलाज किया करते थे । तीन पुस्तो के बाद अपनी जिम्मेवारी वैद्य और औषधालय की ओर ली है ज्ञात हो कि इनके पिता सन 1940 में मननपुर रेलवे स्टेशन के पास पूर्वी ओर दुकान खोला था और पिछले 83 सालों से दुकान चलाने का कार्य कर रहे है। पिताजी के दुकान में ये अपना सहयोगा शिक्षा के समय वर्ग अष्टम से ही अपने पिता को सहयोग देते हुये विश्वविधालय से बहुत सारी डिग्री लेकर वैद्य डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद आज लोगों को अपना सेवा दे रहे है।
इनका कहना है कि लगभग डेढ़ सौ वर्षो पूर्व से हमारे दादा स्व. हर गोविन्द मिश्रा के समय से ही वैद्य और आयुवैदिक औषधालय की जानकारी महात्मा और महापुरूषों से लेकर इनके कार्य में अपनी योगदान देने के बाद काफी कुछ सीखने के बाद ही लोगों का ईलाज करना प्रांरभ्भ किया उस वक्त हमारे परिवार में हमारे तीन चाचा नरेश चन्द्र मिश्रा ;आयुवैद्धिक, चिकित्सक, डा, अकलेश चन्द्र मिश्रा, जेनरल चिकित्सक, मनियाडीह, डा, निखीलेश कुमार चन्द्र मिश्रा ;हैम्योपैथिक,धनवाद में अपनी सेवा देते आ रहे है । श्री चंचल मिश्रा के पिता जी वैद्य स्वण् विमलेश कुमार लखीसराय के चानन इलाके में अपना योगदान देते हुये समय में ही अपने चार पुत्रों कोे शिक्षा जगत में लाये आज के इस परिस्थितियों में पहला पुत्र विनय कुमार तीसरे पुत्र ललित मिश्रा ;पूजा.पाठद्ध में रूचि रखकर अपना सहयोग दे रहे है वही चौथे पुत्र अर्नूज कुमार मिश्रा कपड़े का विजनेश कर अपना परिवार का पालन पोषण कर रहे जबकि दूसरे पुत्र स्वंय वैद्य चंचल कुमार मिश्रा पिता जी के पुरानी दुकान पर ही अपना योगदान देकर लोगों का ईलाज कर रहे है।
वैद्य चंचल कुमार मिश्रा
की जीवनी कथा की बात अगर किया जाय तो इनके कथानुसार
वैद्य और औषघालय के ज्ञानक श्री चंचल कुमार मिश्रा का जन्म 1 जनवरी 1983 में लखीसराय के चानन प्रखंड के इटौन गांव में हुआ था। पहली शिक्षा इटौन के मध्य विधालय रामपुर मननपुर में वर्ग प्रथम से अष्टम वर्ग की पढ़ाई का प्रांरभ किया, इस पढ़ाई के वक्त में भी अपने पिता वैद्य स्व, विमलेश कुमार के साथ थोड़ी औषधी की शिक्षा ली फिर आगे की दूसरी शिक्षा वर्ग नवम में अपने गांव से एक किलोमीटर दूर मननपुर हाई स्कूल में दाखिला लिया, फिर इसी विधालय से अपनी बिहार विधालय परीक्षा समिति बाोर्ड का परीक्षा देकर आगे की पढ़ाई के लिये लखीसराय के के.एस.एस कॉलेज में इंटरमिडियट की शिक्षा ग्रहण कर इसकी शुरूआत की। यहीं इनकी पढ़ाई स्नातक;बी.ए की परीक्षा दी। पढ़ाई के समय में जो भी थोड़ा बहुत समय मिलता था ये अपने पिता के साथ ही वैद्यगुण से लोगों की सेवा करते थे।
फिर इन्होंने 2006 में पटना के राजकीय आयुवेदिक एवं युनानी चिकित्सा परिषद बिहार।;हनुमान नगर में रजिस्टेशन लेकर वैद्य की पढ़ाई की शुरूआत की जिसमें दो वर्ष के अनुभव के बाद बिमारग्रसित लोगों का ईलाज करने के बाद फिर एक बार सन 2012 में दिल्ली गांधी स्मारक प्राकृतिक चिकित्सालय समिति विश्वविधालय राजघाट में दाखिला लेकर सन् 2016 तक में चिकित्सा सुर्य, वायू, मिट्टी, जल और पंचकर्म विज्ञान की पूरी पढ़ाई पूरी की। फिर मौका मिलते ही कलकत्ता के आयुवेदिक चिकित्सालय में परीक्षा देकर टॉपर्र बने फिर ये डा. आयुवेदिक संघ आयुष मेडिकल एसोसिएशन भारत में मेम्बर ए.एम.ए सदस्य के रूप में पूरे भारत में चुने गये। हाल में ज्योतिष आचार्य चार्य की परीक्षा दे रहे है सदर अस्पताल में भी इनका योगदान योग शिक्षा के रूप में सिग्र होना है। हालांकि इसी परीक्षा की कड़ी में सन 2005 में ही इनका जीवन साथी के रूप में ई.एस.एल कोलवरी में पदस्थापित प्राथमिक विधालय में कार्यरत प्रधानकर्मी सह पंडित पाठक सेवार्थ सुरेश मिश्रा के एकलौती पुत्री नीलम कुमारी मिश्रा से इनका विवाह सम्पन्न हुआ आज इनकी पत्नी भी वैध और औषधी में अपना समय देकर लोगों की सेवा कर अपने पति का हाथ बटा रही है। फिलहाल इनकी पत्नी नीलम गृहस्थी गृहिणी में ही कार्य करती है। श्री मिश्रा के दो पुत्र में एक पुत्री स्वाति मिश्रा और पुत्र का नाम आंनत कुमार मिश्रा है।
वैद्य मिश्रा प्रथम
चिकित्सक सेवा
सर्व प्रथम इन्होंने जिला धनबाद के कुम्हार पटट्टीए चिरकुण्डाए उपा बाजारए भौरा बाजार में अपनी सेवा दी। बाद में गृहस्थी जीवन में आने के बाद लखीसराय के पास जिले जमुई के श्री राम आयुवैद्ध होम में अपना सहयोग दिया काफी लोगों के उत्साह और मरीजों की परेशानी और पिता के ईच्छा के बाद अपने पिता के दुकान जो कि मननपुर डाउन प्लेटफार्म के पूर्वी दिशा में सन 1940 में स्थापित नर्सिग होम अमरकोट आरोग्य सेवा सदन में आकर अपना योगदान दिया। बताते चले कि यह मिश्रा का अपना जन्म स्थान है आज इनके पास इनके चिकित्सकता गुणवर्ता को लेकर भारत के विभिन्न क्षेत्रों से बीमार ग्रसित मरीजो आते है जहां यह अपना दवा देकर कम पैसो में अपना सेवा प्रदान कर रहे है। इनके दुकान पर अधिक भीड़ होने के कारण सहयोग के रूप में अपने छोटे भाई अनुज कुमार मिश्रा और एक ग्रामीण सहयोगी पंकज कुमार का सहयोग लेते हुये लोगों का ईलाज कर रहे हैै। श्री मिश्रा का कहना है कि पिता के सहयोग से आज कई मरीजों का ईलाज किया है जिसमें अपनी शिक्षा वैद्य और आयुवैदिक औषधालय के प्राकृतिक विज्ञान से कई से कई जठिल समस्या बीमार लाचार मरीजों को ठीक किया है जिसका प्रमाण के रूप में कई अधिकारी आई.पी.एस और सिपाही कर्मी के साथ साथ इंजिनियर और ग्रामीण शहरी लोग शामिल है।
वैद्य मिश्रा की पत्नी नीलम देवी का कहना है कि हमारे जीवन गृहस्थी काल में और हमारे पुज्यपिता के आर्शीवाद से हमारा विवाह सन 2005 में हुआ था उस वक्त से लगातार हम देखते आ रहे है कि रात दिन एक कर दूर दराज से आये हुये मरीजों को अपना सेवा प्रदान कर हमारे और हमारे बच्चों की उस परिस्थिति में भी अच्छी प्रेरणा देने का काम किया है । आज हमारे दो बच्चों को भी इनसे प्रेरणा मिल रही है। हमारी खुशी इतनी है जो व्या करने के बाद भी कहना मुश्किल होगा। वैद्य मिश्रा की मॉं सह वैद्य स्वण् विमलेश कुमार मिश्रा की पत्नी अरूणा देवी का कहना है कि पिता के बाद हमारे दूसरे बेटे ने समाज में आगे आकर लोगों की हर प्रकार से हर तरह की बीमारी को दूर करने का प्रयास किया है । आगे भी इसी तरह से सेवा प्रदान कर कठिन से कठिन परिस्थितियों में हर मरीजोे की सेवा प्रदान करेगा हमें आज बहुत काफी खुर्शी है पिता के उन सिर्द्वाथों पर चल कर लोगों की सेवा करने में लगा है।
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