लखीसराय और क्यूल जमालपुर रेलखंड पर स्थित कजरा रेलवे स्टेशन इसके बीच के तमाम रेलवे स्टेशनों से ज्यादा राजस्व देने वाला रेलवे स्टेशन में शुमार है बावजूद इसके यह विभागीय उपेक्षा का शिकार है।
क्षेत्रीय लोगों के द्वारा समय.समय पर निरीक्षण में आये मालदा रेल डिवीजन के तत्कालीन रहे डी आर एम को मौखिक व लिखित ट्रेनों के ठहराव को लेकर ध्यानाकर्षित किया जाता रहा है तो दूसरी ओर इसपर विभागीय संज्ञान नहीं लिए जाने के कारण कई ट्रेनों को पकड़ने के लिए अन्य स्टेशनों पर जाना पड़ता है जिससे जाहिर सी बात है कि आर्थिक व शारीरिक नुकसान झेलना होता है।
एक ओर जहां कई जोड़ी ट्रेनों का ठहराव से वंचित है कजरा रेलवे स्टेशन तो दुसरी ओर
स्टेशन रोड कजरा की सड़क भी नरक बनी हुई है।धुप में धुल का बवंडर तो बरसात में जल जमाव व कीचड़ का अंबार से होकर गुजरने की मजबूरी क्षेत्रीय लोगों की विडंबना बनी हुई है।
यह थोड़ी साकारात्मक बात हुई है कि स्टेशन रोड कजरा की नरक बनी सड़क से निजात के लिए क्षेत्रीय नवयुवकों की टोली लखीसराय के तत्कालीन जिलाधिकारी से समस्या से निजात पाने के लिए अनुरोध किया जिसके परिणामस्वरूप इसे निर्माण की पहल पत्थर व मोरंग गिराकर की जा रही है जो बेहतर पहल की ओर संकेत माना जा रहा है। वहीं कजरा रेलवे स्टेशन की एक नम्बर प्लेटफार्म की चहारदीवारी मंगलवार की सुबह आई तेज हवा के साथ आई बारिश से बेजान हो क़रीब सौ फीट सीधे उलट गई जो उपेक्षाग्रस्त कजरा रेलवे कार्य की गुणवत्ता पर काला कलंक है। वही स्टेशन रोड कजरा के निर्माण प्रक्रिया में भी लोग सशंकित हैं कि इसकी गुणवत्ता क्या रहेगी यह भी सवालात के घेरे में है।फिलवक्त बरसात के कारण अभी भी जलजमाव व कीचड़ से निजात नहीं मिल पाया है । इसलिए ष्कजरा बाजार नरक की सड़कष् आज भी कहना उतना ही लाजमी लगता है।
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