बिहार के लखीसराय जिला से 20 किलोमीटर दुर श्रृंगी ऋर्षि धाम आश्रम मंदिर है जहां राजा दशरथ अपने पूत्रों की प्राप्ति के लिए श्रृंगी ऋर्षि धाम आश्रम आकर मंनत मांगे और शिक्षा की भी दिलाई जाने कैसे और क्यों ।1
लखीसराय रेलवे स्टेशन से महज 20 किलोमीटर दुर श्रृंगी ऋर्षि धाम आश्रम है जहां प्राचीन काल में ऋषिृ मुनि लोग तपस्या कर बड़े से बड़े तप किया करते थे यह आश्रम शहर से दुर घने जंगल और चारो ओर पहाड़ियों और घने वादियों से घीरा परा है। इस जगह पर जाने के लिए पहले हर कोई अक्सरा कतराते थे। क्यों कि इन जगहो पर नक्सलियों का गढ हुआ करता़ था जहां नक्सलियों की संख्या अधिक होती थी इस जगह पर जाने के लिए लंबी उभरी खबरी सड़को के कारण हर कोई डरता था । नक्सलियों की खात्मा करने को लेकर जब दिन व दिन केन्द्रीय पुलिस बल का आना जाना इस जंगल में शुरू हो गया उसके बाद शांति महौल देखते हुए इस आश्रम में अन्य लोगों का ज्यादा आगमन होने लगा । अब सड़कों को निर्माण हो जाने के बाद किसी प्रकार कोई परेशानी अब लोगों के बीच नहीं रही।
आपको बता दे कि श्रृंगी ऋर्षि धाम आश्रम की मान्यता है ही राजा दशरथ अपनी चारो पत्नियों के साथ पृत्रों की प्राप्ति को लेकर आये थे जहां ऋर्षि विभांडक के पृत्र श्रृंगी को अपनी परेशानी बताई इसके बाद ही तपस्या से अग्निदेवता हाथ मे खीर का कटोरा लेकर प्रकट हुए और उसी समय पुत्र प्राप्ति का आर्शीवाद ऋषिृ मुनि से राजाओं को मिला था। पुत्र की प्राप्ति होने के बाद राजा दशरथ अपने अन्य राजाओं मित्रों के साथ ढोल बाजे के साथ अपने चार पुत्रों का मुंडन संस्कार श्रृंगी ऋर्षि धाम आश्रम कराया। उसके बाद अपने पुत्र, रानीयां और मित्रों को लेकर राजा पालवंश की नगरी लखीसराय की लाल और काली पहाड़ी के इतिहासिक गुफाएं में 14 दिन रहकर अपने चार पुत्र राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुध्धन को मंत्रोचरण शिक्षा ऋषिृ मुनि विद्वानों से दिलाया था।
श्रृंगी ऋर्षि धाम आश्रम एक आकर्षण का केन्द्र है जो कि बड़े बड़े चट्टानों से बना पहाड़ियों का झुका हुआ है जहां इस धाम में अपरूपी हर दिन गर्म पानी निकलता है जहां एक झरने कुंड का भी निर्माण कराया गया है। यही नही राजा रोमपाद ने अपनी दत्तक पुत्री शांता जिसे राजा दशरथ अपनी बेटी के रूप में गोद लिया उसका विवाह भी ऋर्षि विभांडक के साथ कर उसे आशीर्वाद दिया था।
इस श्रृंगी ऋर्षि धाम आश्रम के बारे में संवाददाता गोपाल प्रसाद आर्य ने मौजूदा लोगों से जानकारी भी लिया है जिसमें राजा दशरथ की पुत्र प्राप्ति से लेकर मान्यातांए की बात सामने आई है।
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