मेरे लिए काफी गम और सदमा का वक्त है।एक छोटी सी मुलाक़ात की यह तस्वीर यादों में ही रहेगा।मौत ने किसी को न छोड़ा है न छोड़ेगा।इसी सफर के दौरान जनाब जफर साहब भी मौत की गिरफ्त में आ गए।वाकई बहुत ही खुश नसीबी है उनकी जो रमज़ान महीने में हम सब से जुदा हो गए और अपने मालिक ए हकीकी से जा मिले।बद नसीब हम हैं जो उनसे आखरी मुलाक़ात नही कर सके।जनाब जफर साहब से मेरी पहली मुलाक़ात 2019 में पटना में उस वक्त हुई थी जब उनके भांजे सहारा एक्सप्रेस उर्दू दैनिक के मालिक की शादी थी।आलम गंज स्थित एक मैरेज हाॅल में थोड़ी देर की मुलाक़ात ने उनसे बहुत बड़े रिश्ते में बांध दिया।जिसके बाद से मैं फारूकी तंजीम में भी रोजाना हाजीपुर वैशाली से खबर भेजना शुरू कर दिया।दुसरी मुलाक़ात फारूकी तंजीम के दफ्तर में 2022 के जनवरी महीने में हुई।तब से आज तक सिर्फ रोजाना वॉट्स एप पर खबर भेजता और कभी-कभार सलाम कलाम होता।इतनी जल्दी चले जाएंगे यह यकीन न था।इन्होंने मुझे एक गार्जियन की तरह मोहब्बत से नवाजा।मालिक कम गार्जियन ज्यादा।अच्छी बातों की नसीहत आज भी याद आते आंख नम हो जाती है।हाजीपुर से बहैसियत रिपोर्टर मुझे बहाल कर मुझे लिखने का मौका दिया।एक दो खबर छोड़कर अक्सर मेरी खबर को जगह दी और तारीफ भी करते।किसी किसी खबरों पर मुझे हिम्मत भी दी।एक मालिक की हैसियत से मेरी खबर को कभी भी रूकने नहीं दिया।पाबंदी से रोजाना रात तक पीडीएफ भेज देते।यह मामूल बीते 15 अप्रैल की रात तक का है।इसके बाद अल्लाह ने मुझसे ऐसे गार्जियन का साया सर से हटा दिया।जो अब हमेशा तस्वीरों में रहेंगे।अल्लाह इनकी मगफिरत फरमाएं और जन्नत उल फिरदौस में जगह अता करें।
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