राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार नालसा नई दिल्ली बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार बालसा पटना एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकार दिलसा लखीसराय के अध्यक्ष जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा सचिव अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अभिषेक कुमार मिश्रा के निर्देशानुसार आज मंडल कारा लखीसराय में पली बारगेनिंग विषय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता वरीय निरीक्षि अधिवक्ता बासुकी नंदन सिंह एवं संचालन जेल उपाधीक्षक अरुण कुमार सिन्हा ने किया मुख्य वक्ता प्राधिकार के रिटेनर अधिवक्ता सितेश सुधांशु ने कहा कि पहले बारगेनिंग को हिंदी में तर्क सौ देकारी कहा जाता है दंड प्रक्रिया संहिता का अध्याय 21 ए पहले बारगेनिंग से संबंधित है इसे दंड विधि संशोधन अधिनियम 2005 द्वारा जोड़ा गया है संशोधन द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता में जोड़े गए नए अध्याय 21 ए में धारा 265 ए से लेकर 265 एल तक कुल 12 नई धारा जोड़ी गई है धारा 265 एक के अनुसार पहले बारगेनिंग ऐसे मामलों में लागू होता है जिसमें 7 वर्ष तक के कारावास की सजा है तथा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के अंतर्गत प्रस्तुत पुलिस रिपोर्ट में ऐसा अपराध किया जाना प्रतीत होता है इसके अलावा ऐसे मामलों से संबंधित परिवाद पत्र पर संज्ञान लिया गया है और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 200 तथा 204 के अंतर्गत आदेश निर्गत किया गया है। धारा 265 एल के अनुसार इस अध्याय की कोई बात बाल अपराधों से जुवेनाइल जस्टिस के मामलों में लागू नहीं होते हैं सलह समझौता के आधार कम समय में मुकदमों के निस्तारण के लिए लाई गई पी बारगेनिंग के प्रावधानों के प्रति लोगों को जागरूक करने की जरूरत है । वरीय जय निरीक्षण अधिवक्ता बास्की नंदन सिंह ने कहा कि धारा 265 बी के अनुसार पहले बारगेनिंग हेतु प्रार्थना पत्र विचरण न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया जा सकता है प्रार्थना पत्र के इस आशय का शपथ पत्र देना होता है कि आवेदन स्वैच्छिक है और पूर्व में ऐसे अपराध में दोष सिद्ध नहीं हुआ है ऐसे स्वैच्छिक आवेदन प्राप्त होने पर न्यायालय परिवादी अभियुक्त या लोक अभियोजक को नियत तिथि पर उपस्थित होने का नोटिस जारी करता है और पचकारों के आपसी सुलह समझौता के आधार पर मामले परस्पर संतोष परत निस्तारण हेतु समय सीमा निर्धारित करता है इसमें पीड़ित पक्ष के क्षतिपूर्ति तथा अन्य खर्च अभियुक्त द्वारा देने के बिंदु पर विचार किया जा सकता है । फाइनल अधिवक्ता दिवाकर पांडे ने कहा कि परी बारगेनिंग विधि क्षेत्र की एक नई संकल्पना है जिसमें धारा 265 सी के अनुसार न्यायालय पुलिस रिपोर्ट से संबंधित मामले में लोक अभियोजक अन्वेषण अधिकारी अभियुक्त एवं पीड़ित पक्ष को तथा परिवाद पत्र के मामले में अभियुक्त एवं पीड़ित पक्ष को संतोष परत निस्तारण के बैठक के लिए नोटिस करता है ऐसे बैठक में पक्षकार अपने-अपने अधिवक्ता के माध्यम से शामिल हो सकते हैं। जागरूकता शिविर में पीएलबी अजय कुमार कैदी पर विधिक स्वयंसेवक जयप्रकाश सिंह कैदी विश्वनाथ दास पप्पू यादव सुनील मंडल करुकोड़ा मकेश्वर यादव रवि कुमार दास मनोज शर्मा रंजन कोड गोपी कोड निगम कुमार सुमित सैकड़ो कैदी उपस्थित थे ।
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