राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकार नई दिल्ली बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार पटना के निर्देशानुसार सदर अस्पताल लखीसराय के सभागार में नालसा( मानसिक रूप से बीमार और मानसिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिए विधिक सेवाएं) योजना 2015 विश्वकप विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी बीपी सिन्हा एवं संचालन प्राधिकार के वरीय अधिवक्ता वासु की नंदन सिंह ने किया मुख्य वक्ता प्राधिकार के सचिव साह अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश संजय कुमार ने कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 12 के तहत वह व्यक्ति जिन्हें अशक्त व्यक्तियों( समान अवसर अधिकारों की रक्षा और पूर्ण सहभागिता) 1987 की धारा 2 के अर्थ में मनोचिकित्सक आस्था अस्पताल अथवा मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति हमारे समाज के अंग हैं मैं भी सामान्य जीवन जीने का अधिकार है साथ ही साथ इन्हें मुफ्त चिकित्सा सहायता उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी हम स्वरों की बनती है
मानसिक बीमारी से जूझने वालों को प्राधिकार द्वारा देखरेख की समुचित व्यवस्था की गई इसमें विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 की धारा 12 के तहत व्यापक रूप से परिभाषित भी किया गया है जागरूकता शिविर में उपस्थित चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोगों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई रोगी बार-बार एक ही बात को आप से पूछ रहा है वह आपकी बातों को सामान्य तरीके से समझ नहीं रहा है तो उसको बिगड़ने की नहीं बल्कि उपचार की आवश्यकता है क्योंकि उसमें मनोरोग के लक्षण उत्पन्न हो रहे हैं प्राधिकार के रिटेनर अधिवक्ता siteshsudhanshu ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 से उत्पन्न उपचार एवं उचित स्वास्थ्य की देखरेख का अधिकार सभी मानसिक व्यक्तियों पर समान रूप से लागू होता है मानसिक बीमार व्यक्ति जानकारी के अभाव के कारण या अंधविश्वास रखवा साधनों के अभाव अथवा कलंक इत्यादि से उपजे अवैध रुकावट के कारण उपचार प्राप्त करने में वंचित रह जाते हैं तो प्राधिकार द्वारा यह सुनिश्चित किया गया है कि ऐसे व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम 1987 में लागू प्रावधानों के माध्यम से मनोचिकित्सक अस्पतालों अथवा मनोचिकित्सक नर्सिंग होम में उपचार की उपलब्ध सुविधाओं तक सुगमता पूर्वक पहुंच सके एवं बेहतर चिकित्सा प्राप्त कर सके महिला अधिवक्ता रोहिणी दास ने कहा कि मानसिक बीमारी साध्य है एवं उचित दवाई एवं देखरेख से रोगी ठीक हो जाता है वरीय अधिवक्ता वासुकी नंदन सिंह ने कहा कि मानसिक रूप से बीमार और मानसिक आवश्यकता से ग्रस्त व्यक्ति सभी मानवीय अधिकार और मौलिक स्वतंत्रता के हकदार हैं वरीय अधिवक्ता रमेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि विधिक सेवा संस्थानों द्वारा मानसिक रूप से बीमार तथा मानसिक और सकता ग्रस्त व्यक्तियों के साथ मात्र उनकी मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के कारण भेदभाव नहीं किया जा सकता है बल्कि उन्हें अत्यंत संवेदनशीलता और देखभाल के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए शिविर में पीएलबी बटोही यादव माया कुमारी समेत चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हुए महिला एवं पुरुष कर्मियों उपस्थित थे।
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