आदिवासी इलाके में आज भी मूलभूत सुविधा से लोग वंचित है इसके बाद भी बिहार में विकास है नीतीशे कुमार है।
खास रिपोर्ट: रंजीत प्रसाद सिंह
बिहार के लखीसराय जिले के चानन प्रखंड के कछुआ गांव में रहने वाले आदिवासियों को आज भी मूलभूत सुविधा नहीं मिलती यहां के लोग विकास से वंचित है एक दशक से इन लोगों को पढ़ाई के लिए शिक्षा, पीने का पानी, शौचालय और शहर जाने के लिए सड़के नहीं है।
लखीसराय जिला मुख्यालय से पचीस किलोमीटर दुर चानन प्रखंड के कछुआ जंगल में रहने वाले लोग विकास से वंचित है इस गांव की आबादी कुल 300 सौ है। यहां के रहने वाले बच्चे अपनी उॅची शिक्षा को लेकर गांव से दस किलोमीटर दुर मननपुर हाई स्कूल और कोचिंग पढ़ने के लिए जाते है। यह मसला इस गांव का ही नहीं है इस गांव के आसपास दूर गांवों केें सतघरवा, महजनवा, बांसकुण्ड और गोवरदाहा में करीबन 1600 से अधिक गा्मीणों का भी कुछ यही हाल है। जबकि बिहार सरकार के द्वारा एक साल पूर्व से निर्धारित आदेश जिला अधिकारी को मिला था कि सरकार आपके द्वार और हर बुधवार के दिन जिला पदाधिकारी से लेकर जिला के तमाम विकास से जुडे पदाधिकारी को गांव और शहर में रहने वाले पंचायत , नगर में जाकर लोगों से विकास का हाल और उनकी समस्या को सुनने का कार्य की रूटिंग बनी हुई है इसके बाद भी चानन प्रखंड के दर्जनों गावं जो कि नक्सल प्रभावित इलाका है और घोर जंगल में रहने वाले आदिवासियों को यह सुविधा प्रदान नहीं हो पाया है।
इसका जायजा लेने हमारे संवादाता आज कछुआ जंगल पहॅुचे जहाँ ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ अपना जमकर भड़ास निकालते हुए कहा कि गांव में पढ़ने वाले बच्चो का भविष्य अंधेर में है गांव से बाजार जाने, बिमारी हो जाता है डॉक्टर को दिखाने के लिए दस किलोमीटर दुर मननपुर बाजार जाना पड़ता है इन दस किलोमीटर में सफर करने के लिए सड़के की हालात बत्त से बत्तर है सड़क का निर्माण भी एक दशक के बाद बनाने का कार्य किया भी गया तो वन विभाग के अधिकारियों ने सड़क निर्माण पर रोक लगा दिया ।
गांव में एक कुआ है उसी कुंआ के सहारे करीबन दो से अधिक लोगों का प्यास बुझता है। एक भी नलजल योजना सरकार के माध्यम से हमलोगो के घर तक पानी नही पहॅुचा है। जिसके कारण काफी दिक्कत होती है और परेशानी का सबक बन रहता है।
कछुआ गांव में निवास करनेे वाले आदिवासियों से मिली जानकारी के बाद जब गांव से हटकर एक विघालय पहॅुचा तो सच में विघालय बच्चो की उपस्थिति नहीं थी विघालय में ताला लटका मिला है इस बात की खबर जब टोला सेवक को मिला तो सर्वप्रथम विघायल के प्रधान शिक्षक को सूचना दी गई आंधे घंटे के बाद विघालय में कुल एक साथ पांच शिक्षिका और शिक्षिकों की उपस्थिति हुई। करीबन दस बजे विघालय का ताला खोला गया है फिर अनान फनान में स्कूल के कमरे की सफाई हुई इस बीच टोला सेवक के द्वारा गावं के बच्चे को पढ़ने के लिए बुलाया गया है करीबन पौने ग्यारह बजे विघालय का पठन पाठन कार्य शुरू हुआ । विघालय के प्रधान शिक्षक का कहना है कि मननपुर बाजार से कछुआ विघालय में आने जाने में काफी दिक्कत होती है आज विघालय का कुछ समान भी खरीदना था इस कारण से विघालय लेट से पहॅुचा जबकि आठ मे से पांच शिक्षक एक साथ विघालय प्रवेश करने पहॅुचे। पढ़ने बाले बच्चो की बात करें तो विघायल मे कुल नामांकण 220 है लेकिन विघालय में मात्र 30 से पैतीस बच्चे ही पहॅुच पाए।
शिक्षिको की उपस्थिति प्रधान शिक्षक मसीस सोरेन, बीपीएससी शिक्षिका आरती कुमारी, पांडेय रोशनी बिंदवासिणी, नवल कुमार और प्रखंड शिक्षक केदार महतो और लालबहादुर चौधरी। अनुपस्थिति में सिकेश कुमार पासवान, सुनील पासवान है।
क्या कहते है कुछआ गांव के रहने वाले आदिवासी निवासी छात्रा राजु कुमार का कहना है कि 12 क्लास में पढ़ते हे पढ़ाई के लिए दस किलोमीटर दुर जाना पड़ता है।
क्या कहते है लोग कछुआ निवासी पुणा कोड़ा का कहना है कि गांव में आने के लिए और जाने के लिए सड़क नहीं है , इमरजेंन्सी में एम्बुलेंस कभी नहीं आता है किसानो के लिए और पीने का पानी का साधन नहीं है गांव की आबादी करीबन दो सौ से अधिक हैं ।
क्या कहते है – प्रधान सहायक शिक्षक मसीस सोरेन का कहना है कि विघालय का कार्य आज लेट से हुई है विघालय का समान लेने के लिए उनकी खरीदारी पर लेट हुई है विघायल दस बजे खुली है। सुविधा के तौर पर कोई विघालय मे साधन नहीं है विघालय मूलभूत सुविधा नहीं है पढ़ाने का साधान नहीं है बेंच ओर टेबूल की कमी है शौचालय नहीं है पानी पीने के लिए व्यवस्था नहीं है जबकि दुसरी ओर बताया कि जो बंद कमरा है उनमें अधिकतर कमरो को ग्रामीणों के कारण गंदगी है। मना करने के बाद भी लोग नही ड्रेस पहनते है इस बात की जानकारी वरिय पदाधिकारी को दिया गया है।
क्या कहते है- बीपीएससी शिक्षिका आरती कुमारी का कहना है कि हमलोग दो महीना से उपर पदभार संभाला है स्कूल में पानी और शौचालय का व्यवस्था नहीं है स्कूल में जो बच्चे पढते है उनके पास ड्रेस है कोई बच्चा स्कूल ड्रेस में आता है कोई नहीं गार्जियन पर दबाब बनाने के बाद भी नहीं आते है।
क्या कहते है- शिक्षिका पांडेय रोशनी विंदवासिणी का कहना है विधालय में कुल 200 बच्चे है पर मात्र 70 बच्चे ही पहॅुचते है। बाईट-शिक्षक लाल बहादुर चौधरी का कहना है कि शौचालय के लिए कई बार शिक्षा विभाग को वरिय प्रधान शिक्षक के द्वारा बनाने और विकास के लिए दिया गया है लेकिन दो महीना बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई या मरम्मती कार्य नहीं हो पाया है।
क्या कहते है -शिक्षक केदार नाथ कुमार का कहना है विघालय के आगे और आसपास में गंदगी का अंबार है लोगो को कई बार ग्रामीणों को गंदगी नहीं फैलाने के लिए कहा गया है लेकिन अनसुनी कर देते है।
क्या कहते है- इस संबध में लखीसराय के जिला अधिकारी रंजनीकांत ने बताया कि कुछ जगहो से शिकायत मिली है आपके द्वारा भी विघालय का पठन और पाठन नही होने , शिक्षिको की अनुपस्थिति के बारे में शिकायत मिली है शिक्षिको से इस संबध में बात की जायेगी। क्यौ और कैसे विधालय में लेट पहॅुचते है बच्चो की कमी किस कारण होती है विघालय में पढ़ने वाले छात्र और छात्रा की नामांकण कितना है । गांव में जाने के लिए सड़क की दिक्कत है एक स्वीकृति मिली भी वह वन विभाग के द्वारा कुछ कमी पर रोक लगाया गया है। जांच कर जो होगा कार्रवाई की जायेगी।
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