लखीसराय जिले के इंगलिश मुहल्ले से बड़ी दरगाह तक आज शहर मे ताजिया जुलूस निकाला गया है जिसमे प्रशासन भी हाई अलर्ट रही है ।
वही मुस्लिम समुदाय के लोगो ने आज मुर्हरम को लेकर शांति तरीके से लोगो ताजिया निकाली है इस मौके पर नगर थाना की पुलिस के अलावे कबैया पुलिस के साथ प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद रहे है। हर जगहो पंर कड़ी सूरक्षा रही है जबकि बता दे कि जब ताजिया जुलूस निकाली जा रही थी उस वक्त समुदाय के लोगो ने बड़े ही उत्साह के साथ खेलते हुए बड़ी दरगाह तक आये जहां हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे ।
पहॅुचते ही लोगो बड़ी दरगाह के मैदान में आखांडा भी लाठियों और बाजे के साथ खेली तस्वीर से यह साफ दिख रहा है कितना सुरक्षा और पुख्ता व्यवस्था के साथ लोग शांति तरीके से लोग अपने मुहर्रम को मना रहे है।
इस महीने में हजरत इमाम हुसैन की शहादत हुई थी हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मोहम्मद साहब के छोटे बेटे नवासे थे उनकी शहादत की याद में मोहर्रम के महीने के दसमें दिन को लोग मातम तौर पर मनाते हैं जिसे असुरा भी कहा जाता है इस्लाम धर्म की मान्यता के मुताबिक हजरत इमाम हुसैन अपने 72 साथियों के साथ मोहर्रम माह के दसवे दिन कर्बला के मैदान में शहीद हो गए थे ।उनकी शहादत और कुर्बानी के तौर पर इस दिन को याद किया जाता है कहा जाता है कि इराक में यजीत नाम का जालिम बादशाह था जो इंसानियत का दुश्मन था। यजीत को अल्लाह पर विश्वास नहीं था ।यजीद चाहता था की हजरत इमाम हुसैन भी उनके खेमे में शामिल हो जाएं हालांकि इमाम साहब को यह मंजूर नहीं था, उन्होंने बादशाह अजीत के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया इस जंग में वह अपने बेटे घरवाले और अन्य साथियों के साथ शहीद हो गए हजरत इमाम हुसैन पैगंबर ए इस्लाम हजरत मोहम्मद साहब के नवासे थे इमाम हुसैन के बाली दियानी पिता का नाम मोहतरम शेरे खुदा अली था जो कि पैगंबर साहब के दमाद थे इमाम हुसैन की मां की बीवी फातिमा थी हजरत अली मुसलमानों के धार्मिक सामाजिक और राजनीतिक मुखिया थे लेकिन हजरत अमीर मुआविया ने खिलाफत पर कब्जा कर लिया मुआविया के बाद उनके बेटे अजीत ने खिलाफत अपना ली अजीत क्रूर शासक बना उसे इमाम हुसैन का डर था इंसानियत को बचाने के लिए अजित के खिलाफ इमाम हुसैन के कर्बला की जंग लड़ी और शहीद हो गए मोहर्रम के दसवें दिन यानी आशूरा के दिन ताजियादारी की जाती है इमाम हुसैन का इराक में दरगाह है इमाम हुसैन की इराक में दरगाह जिसकी हिबू नकल कर ताजिया बनाई जाती है हालांकि ताजिया निकालने की परंपरा सिर्फ शिया समुदाय के ही लोग में है इस अवसर पर उपस्थित जमाल अंसारी, बाबर अंसारी, मकसूद अंसारी, कमरुद्दीन अंसारी, छेदी मियां, चुन्नू मियां, रुस्तम मियां, आजम मियां, शकूर मियां, मुख्तार अंसारी सहित सैकड़ों लोग ने इस ताजिया में भाग लिया है। प्रशासन भी चप्पे चप्पे पर मौज्ूाद थे।
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