लखीसराय जिले के जाने माने हिन्दी कवि और जुझारू जनप्रतिनिधि अनिल सिंह का आकस्मिक मौत पर साहित्य कलात्मक लोगो के बीच आपुर्ति क्षति हुई है। इनके निधन पर इनके चाहने वाले लोगों ने शोक प्रकट किया है। आपको बता दे कि इनके ही प्रयास से जंगल स्थित श्रृर्षिधाम में सड़क का निर्माण हो सका था इनके ही पहल पर जिले के जला अधिकारी जंगल में प्रयासरत पहल की थी। एक जुझारू जनप्रतिनिधि के साथ साथ यह एक हिन्दंी साहित्य अच्छे जानकर थे इन्होंने कृर्मिला जैसे किताबो का भी चर्चा शहर में किया था। इस संबध में विशेष जानकारी देते हुए प्रज्ञा बिहार पब्लिक स्कूल के संचालक रंजन कुमार ने बताया कि आश्चर्यचकित हूं में जिले के ऐतिहासिक साहित्य के एक अध्याय का आज अंत हो गया।अनिल सिंह जो मूल रूप से बेगूसराय जिले के बिजुलिया गांव के रहनेवाले थे। वर्तमान में पूर्वी कार्यानंद नगरए लखीसराय स्थित अपने मकान में निवास करते थे।इतिहास और साहित्य के साथ. साथ अपने गांव से अतिप्रेम रखनेवाले अनिल बाबू ने अपने जीवन काल में कई नौकरी से पद त्याग किया।
अपने नाम के आगे टाइटल के रूप में अपने गांव के नाम बिजुलिया लगाना ;अनिल सिंह बिजुलिया इस बात का प्रमाण है कि अपने गांव के प्रति इनकी कितनी श्रद्धा थी।इनकी भाषा शैली ऐसी थी जो हर किसी को नसीब नहीं। कुछ दिन पूर्व बाल विकास कोर्ट में अपना योगदान समाज के लिए दिया था। श्रृंगी ऋषि धाम, अशोकधाम, व अन्य ऐतिहासिक स्थलों से जुड़े इतिहास और ऐतिहासिक तथ्यों की खोज में अप्रत्यक्ष रूप से इनका काफी योगदान रहा। व्यक्तिगत रूप से 2016 से मुझे इनके करीब आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिसमें उन्होंने लखीसराय से जुड़े कई महत्वपूर्ण जानकारी देकर मेरा ज्ञानवर्धन किया। उन्होंने ही बताया कि लखीसराय का प्राचीनतम नाम धौलाबर है। इसी नाम के आधार पर टाउन थाना परिसर में अवस्थित शिवलिंग धौलेश्वर महादेव का नामकरण इन्होंने ही किया। आज करीबन 3 बजे अचानक इस महान दिव्यात्मा का हृदयगति रुक जाने के कारण निधन हुई है। महादेव से कामना कि इनकी आत्मा को शांति दे।
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